सुप्रीम कोर्ट ने माना कि मनीष सिसोदिया के मामले में ट्रायल में देरी उनकी वजह से नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति मामले में आप नेता और पूर्व दिल्ली उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ट्रायल में देरी का कारण सिसोदिया नहीं हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि सिसोदिया की जमानत याचिका को खारिज करते हुए यह देखा गया कि सिसोदिया 15 महीने से पहले से ही जेल में हैं।
कोर्ट की टिप्पणियाँ
वर्तमान में सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और संदीप मेहता की अवकाश पीठ ने सिसोदिया की दो विशेष अनुमति याचिकाओं का निपटारा किया। यह याचिकाएँ दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 मई के आदेश को चुनौती देने के लिए दायर की गई थीं, जिसमें सिसोदिया की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया था।
अभियोजन पक्ष की दलीलें
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि अभियोजन एजेंसियां आगामी 3-4 सप्ताह में अंतिम चार्जशीट दाखिल करेंगी। इस पर कोर्ट ने आदेश पारित किया, लेकिन सिसोदिया को भविष्य में अपनी याचिका पुनः प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता दी गई।
सिसोदिया के वकील की दलीलें
वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत को बताया कि सिसोदिया पहले ही 15 महीने की प्री-ट्रायल कैद भुगत चुके हैं। सिंघवी ने जोर देकर कहा कि सिसोदिया की पत्नी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं, और अदालत ने अधिकांश याचिकाओं को स्वीकार किया है, जो सिसोदिया के मौलिक अधिकार हैं।
न्यायमूर्ति कुमार की टिप्पणी
न्यायमूर्ति कुमार ने कहा कि सिंघवी द्वारा प्रस्तुत तर्कों से स्पष्ट होता है कि देरी का कोई कारण सिसोदिया नहीं हैं। इसके जवाब में एसजी मेहता ने कहा कि देरी के कारण दोनों पक्षों में नहीं होते, बल्कि दस्तावेजों और साक्ष्यों की विशाल मात्रा के कारण होते हैं।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन एजेंसियां आगामी 3-4 सप्ताह में अंतिम चार्जशीट दाखिल करेंगी। हालांकि, अदालत ने ट्रायल कोर्ट को दिन-प्रतिदिन की सुनवाई का निर्देश देने से मना कर दिया।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला न्यायिक प्रणाली में निष्पक्षता और समय पर न्याय सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
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